सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम  |  इन्वेस्ट यूपी की आधिकारिक वेबसाइट, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम

त्वरित मेनू

भारत में परिदृश्य

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.), भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर शीर्ष की ओर अग्रसर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कारक है। ये उद्यम बाजारों के रुझान के अनुसार कौशल उन्नयन के लिए निरंतर प्रयासरत है एवं प्रति वर्ष लाखों रोजगार सृजित करते हैं। एम.एस.एम.ई. न केवल पर्याप्त रोजगार के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वरन् ग्रामीण तथा पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगीकरण में भी सहायक सिद्ध होते हैं, जिससे क्षेत्रीय असंतुलन कम होता है तथा राष्ट्रीय आय एवं समृद्धि का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित होता है।
  • उद्यम पोर्टल के अनुसार, एम.एस.एम.ई. दो करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है तथा स्वयं को अर्थव्यवस्था की आधारशिला के रूप में दृढ़ता से स्थापित करता है। सहायक तथा सुधारात्मक सरकारी पहलों एवं तकनीकी नवाचारों से सहायता के कारण एम.एस.एम.ई. सेक्टर में तीव्रता से वृद्धि हुई है, भारत के कुल निर्यात का लगभग 46% निर्यात एम.एस.एम.ई. सेक्टर से होता है। वर्तमान में, 6.3 करोड़ एम.एस.एम.ई. संचालित हैं, एम.एस.एम.ई. सेक्टर भारत के विनिर्माण-उत्पादन में 33.4% का योगदान देता है।
  • भारत, वर्ष 2026-27 तक $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, अतः भारत में निवेश गंतव्य के रूप में रुचिवर्धन हो रहा है। भारतीय एम.एस.एम.ई. सेक्टर के वर्ष 2028 तक $1 ट्रिलियन तक पहुँचने की संभावना है। भविष्य में देश में एम.एस.एम.ई. की संख्या 6.3 करोड़ से बढ़कर लगभग 7.5 करोड़ होने की सम्भावना है, जो 2.5% की अनुमानित चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रही है।
  • एम.एस.एम.ई. सेक्टर के विभिन्न लाभ उद्योगों तथा आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्रों में निवेश की विविध संभावनाओं को समाहित करते हैं, जिनमें टेक्सटाइल, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि आदि है। एम.एस.एम.ई. द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक विशिष्ट लाभ महानगरीय शहरों से पृथक उद्यमों में निवेश करने की संभावना है। निवेशक प्रगतिशील ग्रामीण एम.एस.एम.ई. की क्षमता का लाभ उठा सकते हैं, जो तेजी से बढ़ते उपभोक्ता आधार, व्यय करने योग्य आय एवं एक जीवंत घरेलू बाजार की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सेक्टर हेतु ऑटोमेटिक रूट के अंतर्गत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति प्रदान करने वाली उदार एफडीआई नीति, इस सेक्टर को प्रदान की जा रही विविध कर रियायतों के कारण भारतीय एम.एस.एम.ई. सेक्टर में निवेशकों को आकर्षित करने की पर्याप्त संभावनाएं विद्यमान हैं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता तथा समावेशिता को प्रोत्साहित करने हेतु एम.एस.एम.ई. की भूमिका निर्विवाद है। उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकृत 20.5% सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं, जो उद्यम-पंजीकृत एम.एस.एम.ई. द्वारा सृजित कुल रोजगार का 18.73% है।
  • सेक्टर के विकास को सुनिश्चित करने एवं अर्थव्यवस्था को सर्वसमावेशी, समतामूलक तथा सतत बनाए रखने हेतु सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एम.एस.एम.ई. को प्रोत्साहित करने हेतु अनेक कदम उठाए हैं, जो इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उदाहरणार्थ, सूक्ष्म तथा लघु उद्यमों हेतु ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत वार्षिक गारंटी शुल्क में 10% की छूट तथा महिला उद्यमियों हेतु 85% तक का गारंटी कवरेज का प्रविधान है। इसके अतिरिक्त, 'समर्थ’ (SAMARTH) पहल के अंतर्गत ग्रामीण एवं उपनगरीय क्षेत्रों की 7500 से अधिक महिलाओं को महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने हेतु कौशल विकास एवं विपणन सहायता का प्रविधान किया गया है।
  • जुलाई 2022 में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के तत्वावधान में ‘रेजिंग एंड एक्सीलरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस’ (RAMP) नामक एक अन्य सरकारी कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त RAMP योजना का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की वैश्विक बाजार एवं ऋण तक पहुंच को बेहतर करना तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन एवं विकास में केंद्र-राज्य सहयोग को गति प्रदान करके इस सेक्टर को प्रगति की ओर अग्रसर करना है। कार्यान्वयन सुनिश्चित करने हेतु पांच वर्षों हेतु ₹6000 करोड़ के परिव्यय के साथ इस योजना का लक्ष्य 5.5 लाख से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को लाभान्वित करना है।

उत्तर प्रदेश में परिदृश्य

  • उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सेक्टर विभिन्न पारंपरिक क्लस्टर्स की सुदृढ़ उपस्थिति के साथ विनिर्माण सेक्टर की नींव के रूप में कार्य करता है। राज्य में लगभग 90 लाख एम.एस.एम.ई. का आधार है। उत्तर प्रदेश में कुल 90 लाख एम.एस.एम.ई. में से, सूक्ष्म उद्योग की 89.64 लाख इकाइयां हैं, जबकि 0.36 लाख लघु इकाइयां हैं।
  • उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सेक्टर प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता हैं, जो लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है, विशेषतः ग्रामीण एवं उपनगरीय क्षेत्रों में। इससे क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने एवं समग्र विकास को प्रोत्साहित करने में सहायता प्राप्त होती है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों द्वारा सृजित रोजगार की संभावनाओं से विशेष रूप से महिलाओं तथा वंचित समुदायों को लाभ प्राप्त हुआ है। उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम 1.4 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं अनेक एम.एस.एम.ई. की निर्यातोन्मुख प्रकृति ने प्रदेश की विदेशी मुद्रा आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। वर्ष 2022 में, उत्तर प्रदेश के एम.एस.एम.ई. सेक्टर से निर्यात का मूल्य लगभग $16 बिलियन था, जो राज्य के कुल निर्यात का लगभग 70% था।
श्रेणी उत्तर प्रदेश में पंजीकृत इकाइयों की संख्या
सूक्ष्म 89.64 Lakh
लघु 0.36 Lakh
  • उत्तर प्रदेश में विभिन्न प्रमुख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम उप-क्षेत्रों में वस्त्र एवं हस्तशिल्प सम्मिलित हैं, जो हथकरघा बुनाई, कढ़ाई तथा कालीन निर्माण जैसे पारंपरिक शिल्प हेतु प्रसिद्ध हैं, वाराणसी एवं लखनऊ जैसे शहर क्रमशः रेशम की साड़ियों एवं चिकनकारी कढ़ाई हेतु प्रसिद्ध हैं। कानपुर एवं आगरा में चमड़ा उद्योग उच्च गुणवत्ता की चमड़े की वस्तुओं का उत्पादन होता है, जिसका भारत से चमड़े के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान होता है। राज्य की उपजाऊ भूमि से एक सुदृढ़ कृषि-प्रसंस्करण सेक्टर प्रगतिशील है, जिसमें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डेयरी, फलों तथा सब्जियों सहित कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण तथा पैकेजिंग सम्मिलित हैं। डिजिटलीकरण के विस्तार के साथ उत्तर प्रदेश में विभिन्न एम.एस.एम.ई., आईटी सेवाओं, सॉफ्टवेयर विकास एवं डिजिटल मार्केटिंग में संलग्न है, जो प्रदेश की तकनीकी उन्नति में योगदान दे रहे हैं।
  • ब्रांडिंग, विपणन एवं प्रोत्साहन में उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। सरकार ने ‘प्रमोटिंग लीडरशिप एंड इंटरप्राइजेज फॉर डेवेलपमेंट ऑफ ग्रोथ इंजन (प्लेज)’ योजना प्रारंभ की है, जो निजी उद्यमों को प्रदेश में औद्योगिक पार्क विकसित करने का अवसर प्रदान करती है। हाल ही में, सरकार द्वारा झांसी में 11वें प्लेज पार्क का उद्घाटन किया गया। वित्तीय सहायता प्रदान करने, अवस्थापना के उन्नयन एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के राज्य सरकार के उपायों ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को समृद्ध बनने हेतु एक सुदृढ़ नींव डाली है, जिससे वे उत्तर प्रदेश की आर्थिक सफलता का अभिन्न अंग बन गए हैं एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रमुख कारक के रूप में अपनी स्थिति स्थापित की है।

सेक्टर की विशेषताएं




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प्रमुख कंपनियां

उल्लेखनीय प्रगति

सरकार का लक्ष्य एम.एस.एम.ई. उद्योगों के विकास में 15% की वार्षिक वृद्धि करना एवं इसके साथ रोजगार सृजन करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु सरकार ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना जैसी विभिन्न विशेष योजनाएं प्रारंभ की हैं, जिसके माध्यम से स्थानीय कामगारों एवं पारंपरिक उद्यमियों को पारंपरिक उद्योगों के विकास हेतु बैंक से ऋण मिलने पर मार्जिन मनी अनुदान तथा ब्याज अनुदान की सुविधा प्रदान की जाएगी। एक अन्य योजना - मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं हेतु है। उद्योग एवं सेवा सेक्टर में उद्यम स्थापित करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए, इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को मार्जिन मनी अनुदान तथा ब्याज अनुदान दिया जाता है। इन परियोजनाओं को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना अथवा स्टैंड अप इंडिया योजना के साथ समन्वित किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा महिला उद्यमियों हेतु विशेष प्राविधान किया गया है।

एम.एस.एम.ई. सेक्टर को प्रोत्साहित करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अनूठी पहल ‘एक जनपद - एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना’ प्रारंभ की, जिसका उद्देश्य जनपद स्तर से ही राज्य की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करना तथा प्रोत्साहित करना है। इस योजना ने न केवल लुप्तप्राय स्थानीय शिल्प, पारंपरिक कौशल एवं समुदायों के उत्पादों को संरक्षित तथा विकसित करने में सहायता की है, वरन् इन गतिविधियों में संलग्न लाखों ग्रामीणों हेतु आजीविका भी सुरक्षित की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 75 जनपदों में से प्रत्येक से एक विशिष्ट उत्पाद चिन्हित किया है एवं एक उत्पाद-विशिष्ट पारंपरिक औद्योगिक केंद्र स्थापित किया है, जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, दुर्लभ एवं आकर्षक गेहूं-डंठल शिल्प, वस्त्रों पर विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी एवं जरी-जरदोजी का काम है। जनपदों में विशेष उत्पादों को प्रोत्साहित करने हेतु एवं विपणन पर केंद्रित एक पहल के रूप में, एक जनपद - एक उत्पाद का उद्देश्य राज्य के सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम सेक्टर को विकसित करना है।

नीतियां एवं योजनाएं

पूंजीगत ब्याज सब्सिडी बुंदेलखंड तथा पूर्वांचल क्षेत्र - पूंजी सब्सिडी क्रमशः 25%, 20% एवं 15%, मध्यांचल तथा पश्चिमांचल क्षेत्र - पूंजी सब्सिडी क्रमशः 20%, 15% व 10%, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिला उद्यमी - 2% अतिरिक्त पूंजी सब्सिडी
अवस्थापना ब्याज सब्सिडी अनुमोदित एम.एस.एम.ई. औद्योगिक पार्क / आस्थान / फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स (फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स हेतु न्यूनतम 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र) परियोजनाएं, जिनका क्षेत्रफल 10 एकड़ अथवा उससे अधिक है, 50% तक की वार्षिक अवस्थापना ब्याज सब्सिडी हेतु पात्र होंगी, जिसकी अधिकतम सीमा ₹2 करोड़ प्रति वर्ष होगी।
कृषि भूमि विकास प्राधिकरणों की कृषि भूमि को औद्योगिक भूमि में परिवर्तित करने हेतु भू-उपयोग परिवर्तन पर 100% छूट
स्टाम्प ड्यूटी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, पूर्वांचल एवं बुदेलखंड क्षेत्र में 100% स्टाम्प ड्यूटी में छूट हेतु पात्र होंगे, गौतमबुद्ध नगर तथा गाजियाबाद (50%) को छोड़ कर मध्यांचल तथा पश्चिमांचल क्षेत्र में 75%, महिला उद्यमी राज्य के किसी भी भाग में 100% स्टाम्प ड्यूटी छूट हेतु पात्र होंगी
• एम.एस.एम.ई. इकाई प्रारंभ होने की तिथि से 5 वर्षों हेतु 100% ईपीएफ प्रतिपूर्ति
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के मध्य पर्यावरण सुधार उपायों को प्रोत्साहन सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र की स्थापना हेतु परियोजना लागत की 50% की वित्तीय सहायता (अधिकतम ₹10 करोड़)

निवेश के प्रमुख अवसर

  • हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य, इंजीनियरिंग उत्पाद, कालीन, रेडीमेड वस्त्र तथा चर्म उत्पादों के निर्यात में अग्रणी राज्य।

  • उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों द्वारा निर्मित पारंपरिक उत्पादों हेतु प्रसिद्ध है तथा यहाँ रोजगार सृजन की असीमित संभावनाएं हैं।

  • स्वदेशीकरण तथा / अथवा आयात प्रतिस्थापन हेतु शीर्ष की कंपनियों एवं उनके सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विक्रेताओं द्वारा निवेश तथा आउटपुट हेतु असीमित संभावनाएं।

  • विशाल औद्योगिक आधार द्वारा पूरित अनुकूल क्रय नीति।

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य सरकार के विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) द्वारा राज्य के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम से 25 प्रतिशत क्रय अनिवार्य कर दिया है।

  • राज्य सरकार ने महिलाओं एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के स्वामित्व वाली एम.एस.एम.ई. इकाइयों से अनिवार्य क्रय हेतु 3 प्रतिशत तथा 4 प्रतिशत का सब-कोटा निर्धारित किया है।

  • प्रदेश में स्वदेशी तथा विशिष्ट उत्पादों को प्रोत्साहित करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार ने एक जनपद - एक उत्पाद (ODOP) कार्यक्रम एवं उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति-2022 तथा उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना-2020 जैसी नीतियां घोषित की हैं।

 निवेश सारथी निवेश मित्रा