वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स  |  इन्वेस्ट यूपी की आधिकारिक वेबसाइट, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत

सेक्टर

वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स

त्वरित मेनू

भारत में परिदृश्य

  • भारतीय लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग उद्योग देश के आर्थिक विस्तार हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है। व्यवसायों द्वारा उन्नत प्रौद्योगिकियों तथा स्वचालन के अंगीकरण से यह सेक्टर अधिक दक्ष, प्रगतिशील तथा स्थायी बनता जा रहा है। सरकारी नीतियों एवं अवस्थापना सुविधाओं में सुधार इस सेक्टर के निवेश आकर्षण को और गति प्रदान करते हैं, जिससे यह सेक्टर एक गतिशील तथा वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी उद्योग के रूप में उभर रहा है जिसमें भविष्य में विकास की असीम संभावनाएं हैं।
  • भारत में लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग सेक्टर में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं, विशेषतः कोविड महामारी के उपरांत ऑनलाइन शॉपिंग में वृद्धि तथा उपभोक्ता-व्यवहार में परिवर्तन के कारण हुआ है। इस परिवर्तन ने व्यवसायों को नवीन, लचीले प्रारूप अपनाने हेतु प्रेरित किया है जो गति, सुविधा तथा लागत-प्रभावशीलता को प्राथमिकता देते हैं। ई-कॉमर्स की मांग में वृद्धि, परिवर्तित होते व्यापार मॉडल तथा ग्राहक स्थानों के पास छोटे, फ्लेक्सिबल कार्यालय स्थलों के विकास सहित इस सेक्टर के विस्तार हेतु असीम अवसर की संभावनाएं हैं।
  • देश के भीतर व्यापार हेतु लॉजिस्टिक्स एक महत्वपूर्ण निर्धारक है तथा वैश्विक व्यापार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता हेतु भी यह महत्वपूर्ण है। विकसित देशों में 7%-8% तथा अन्य BRICS देशों में 9%-10% की तुलना में भारत में सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में लॉजिस्टिक्स की लागत 13%-14% है। लॉजिस्टिक्स की लागत में 1% की भी कमी करने से प्रति वर्ष लगभग ₹1.4 लाख करोड़ की बचत होगी। अतः, देश में एक सुदृढ़, एकीकृत तथा कुशल लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकि तंत्र विकसित करने की एक अंतर्निहित आवश्यकता है।
  • लॉजिस्टिक्स सेक्टर में गति, दक्षता तथा अनुकूल वातावरण को विकसित करने हेतु प्रौद्योगिकी को अपनाया जा रहा है। कंपनियां संचालन को बेहतर उपायों से प्रबंधित करने, आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुव्यवस्थित करने तथा लागत प्रभावी करने हेतु स्वचालन, डेटा एनालिटिक्स तथा डिजिटल उपकरणों पर निर्भर हो रही हैं। विशेष रूप से वेयरहाउसिंग सेक्टर में स्वचालन, न्यूनतम त्रुटियों तथा लागत प्रभावी श्रम अधिक परिमाण में माल का प्रबंधन करने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
  • ऑनलाइन शॉपिंग में गतिशीलता ने दक्ष लॉजिस्टिक्स तथा वेयरहाउसिंग सेवाओं की मांग को प्रोत्साहित किया है। उपभोक्ताओं की सुविधा एवं गति की मांग से लॉजिस्टिक्स कंपनियों को अंतिम-मील डिलीवरी तथा त्वरित पूर्ति करने हेतु अनुकूल बनाया है। यह परिवर्तन इस सेक्टर को वृहद् एवं अधिक उन्नत वेयरहाउसिंग समाधान विकसित करने हेतु प्रेरित कर रहा है।

पारिस्थितिकी तंत्र के विकास हेतु समर्थन

  • देश में लॉजिस्टिक्स अवस्थापना का व्यापक विकास सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। यह मुख्य रूप से 4 स्तंभों पर आधारित हैं, यथा- अवस्थापना विकास, लॉजिस्टिक्स योजना, सक्रिय शासन एवं प्रौद्योगिकी का अंगीकरण। इसमें एफडीआई मानदंडों का सरलीकरण, जीएसटी का कार्यान्वयन, ई-कॉमर्स के विकास को प्रोत्साहित करना, नियामक नीतियों में सकारात्मक परिवर्तन एवं “गतिशक्ति”, “सागरमाला”, “मेक इन इंडिया” आदि पहलों के माध्यम से सर्वांगीण अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सम्मिलित हैं। भारत सरकार माल के परिवहन हेतु उच्च गति तथा उच्च क्षमता वाले रेलवे कॉरिडोर के रूप में दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डी.एफ.सी.), यथा- ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ई.डी.एफ.सी.) तथा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यू.डी.एफ.सी.) का विकास कर रही है। चूंकि ये कॉरिडोर्स परिवहन की लागत तथा समय को कम करते हैं, अतः इन दोनों फ्रेट कॉरिडोर्स के निकटस्थ दो प्रमुख औद्योगिक कॉरिडोर्स, यथा- दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डी.एम.आई.सी.) एवं अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (ए.के.आई.सी.) विकसित किए जा रहे हैं।
  • अन्य परियोजनाओं में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक पार्क, रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम, एक्सप्रेसवे, उड़ान - क्षेत्रीय वायु संपर्क योजना आदि सम्मिलित हैं, जिनका क्रियान्वयन भी लॉजिस्टिक व्यय की लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 14% से घटाकर 10% से भी कम करने हेतु किया जा रहा है।
  • केंद्र सरकार, भारत में लॉजिस्टिक्स सेक्टर के केंद्रित विकास हेतु सक्रिय तथा प्रभावी शासन पर भी कार्य कर रही है एवं वर्ष 2017 में भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग के समन्वित विकास को सुनिश्चित करने के दृष्टिगत एक समर्पित लॉजिस्टिक्स डिवीजन की स्थापना की गई है। केंद्र सरकार ने भारत में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास हेतु एकीकृत तथा व्यापक परियोजना नियोजन हेतु वर्ष 2021 में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान प्रारंभ किया था जिससे देश में लॉजिस्टिक्स सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार होंगे।
  • पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के पूरक के रूप में, केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) घोषित की गई। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान सतत अवस्थापना एवं नेटवर्क नियोजन के एकीकृत विकास पर केंद्रित है, जबकि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति एक व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्य योजना (CLAP) के माध्यम से सेवाओं (प्रक्रियाओं, डिजिटल प्रणालियों, नियामक रूपरेखाओं) तथा मानव संसाधन में दक्षता में सुधार करने की परिकल्पना करता है। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का उद्देश्य त्वरित एवं समावेशी विकास हेतु देश में तकनीकी रूप से सक्षम, एकीकृत, लागत कुशल, स्थायी एवं विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है।

उत्तर प्रदेश में परिदृश्य

  • क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश, भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है एवं भारत की 17% जनसंख्या प्रदेश में है। रणनीतिक रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निकट स्थित होने के कारण यह पूर्वी निर्यात बंदरगाहों तथा मध्य भारत हेतु एक आकर्षक प्रवेश द्वार प्रदान करता है। उत्तर प्रदेश निवेशकों को एक विशाल उपभोक्ता तथा श्रम बाजार प्रदान करता है। उत्तर प्रदेश ने अपनी निवेश-अनुकूल नीतियों, सुधारों तथा सक्रिय शासन के माध्यम से $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार सुव्यवस्थित प्रकिया से औद्योगिकीकरण तथा अवस्थापना के विकास को प्रोत्साहित कर रही है क्योंकि विनिर्माण तथा लॉजिस्टिक्स आंतरिक रूप से संबद्ध हैं।
  • गत वर्षों में, उत्तर प्रदेश ने स्वयं को भारत में एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित किया है। उत्तर प्रदेश से व्यापारिक निर्यात वित्तीय वर्ष-2021 में $16.39 बिलियन से वित्तीय वर्ष-2022 में (फरवरी 2022 तक) $18.83 बिलियन तक पहुँच गया। वर्ष 2019 में, राज्य में ₹16,799 करोड़ ($2.40 बिलियन) के 147 निवेश आशय दर्ज किए गए (उद्योग प्रोत्साहन और आंतरिक व्यापार विभाग के अनुसार)। लॉजिस्टिक्स विकास तथा लॉजिस्टिक्स की सुलभता प्रदान करने हेतु किए गए कार्यों के दृष्टिगत, उत्तर प्रदेश को ‘लॉजिस्टिक्स ईज एक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स’ (LEADS) सर्वे-2022 में लैंडलॉक्ड क्लस्टर के अंतर्गत “अचीवर्स” के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया। इसे “रेल इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता” की दृष्टि से अग्रणी राज्यों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है एवं पीएम गति शक्ति पोर्टल (LEADS 2022) पर आवश्यक डेटा के एकीकरण की प्रक्रिया में अग्रणी राज्य। इससे पूर्व, उत्तर प्रदेश ने गत लॉजिस्टिक्स ईज एक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स (LEADS) रैंकिंग 2021 में देश में 7 स्थानों की प्रगति की एवं छठा स्थान प्राप्त किया था तथा इसे “टॉप इम्प्रूवर्स” के रूप में वर्गीकृत किया गया था। साथ ही, भारत के ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ में भी उत्तर प्रदेश को पहला स्थान दिया गया है।

प्रमुख कंपनियां

उल्लेखनीय प्रगति

भारत सरकार देश में विनिर्माण तथा निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु डी.एम.आई.सी. एवं ए.के.आई.सी. जैसे औद्योगिक गलियारे विकसित कर रही है। इन गलियारों का उद्देश्य नए औद्योगिक क्लस्टरों को आकार देना तथा विनिर्माण संस्कृति को प्रोत्साहित करना है।
डी.एम.आई.सी. तथा ए.के.आई.सी. परियोजनाओं में ग्रेटर नोएडा में एकीकृत टाउनशिप तथा प्रयागराज वा आगरा में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर जैसे महत्वपूर्ण विकास सम्मिलित हैं।
आगरा, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, झांसी वा चित्रकूट में 5000 हेक्टेयर भूमि पर 6 नोड्स वाला डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर।
उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा पहला मेडिकल डिवाइस पार्क प्रारंभ किया गया है तथा यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में फिल्म सिटी, टॉय पार्क, अपैरल पार्क, हैंडीक्राफ्ट पार्क एवं सेमीकंडक्टर पार्क विकसित किए जा रहे हैं।
यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे लॉजिस्टिक हब जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के समीप एमआरओ/कार्गो कॉम्प्लेक्स तथा एक्सप्रेसवे के पास लॉजिस्टिक केंद्र/हब के विकास की योजना है।
उत्तर प्रदेश, लॉजिस्टिक्स लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 14% से घटाकर 10% से भी कम करने हेतु मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क, रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम, एक्सप्रेसवे तथा उड़ान जैसी परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है।

निवेश के प्रमुख अवसर

सड़क तथा रेलवे नेटवर्क के विकास के साथ, अवस्थापना परियोजनाओं से अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु विभिन्न निवेश परिक्षेत्र तथा लॉजिस्टिक्स हब विकसित करने का एक रणनीतिक कारण है। डी.एम.आई.सी. तथा ई.डी.एफ.सी. के अंतर्गत आच्छादित क्षेत्रों के अतिरिक्त, विभिन्न स्थानों पर लॉजिस्टिक्स ढांचा विकसित किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गत दिनों में लॉजिस्टिक्स हब विकसित करने हेतु राज्य के सात शहरों को चिन्हित किया है, जिसके अंतर्गत गाजियाबाद भी सम्मिलित है, जो दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के समीप होगा। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने दो लॉजिस्टिक्स हब विकसित करने की योजना बनाई है जिसके लिए भोजपुर तथा कौशलिया में भूमि को चिन्हित किया गया है। इसी प्रकार, सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना हेतु पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निकट के 12 जनपदों को चिन्हित किया है जिसके अंतर्गत बाराबंकी, अमेठी, सुलतानपुर, आजमगढ़, मऊ, अयोध्या एवं अंबेडकर नगर, आदि सम्मिलित हैं। तीन अन्य प्रमुख निवेश परिक्षेत्र निम्नलिखित हैं:

  • दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र
  • मेरठ-मुजफ्फरनगर निवेश क्षेत्र
  • डीडीयू नगर-वाराणसी-मिर्जापुर निवेश क्षेत्र
  • झांसी तथा औरैया में राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण परिक्षेत्र
  • लखनऊ-उन्नाव-कानपुर क्षेत्र
  • प्रयागराज-वाराणसी क्षेत्र

लॉजिस्टिक्स सेक्टर में निम्नलिखित अवसर उपलब्ध हैं–

  • वेयरहाउसिंग सुविधाएं
  • कोल्ड स्टोरेज
  • लॉजिस्टिक्स पार्क्स
  • ई-कॉमर्स हब
  • वास्तविक समय में (रियल टाइम) लॉजिस्टिक्स - इंटरनेट तथा ई-कॉमर्स के अधिक उपयोग के साथ, ऐसी सेवाएं प्रदान करने के अवसर हैं जो परिवहन किए गए माल की ट्रैकिंग एवं मॉनिटरिंग में सहायक सिद्ध होंगी।
  • डिजिटलीकरण- लॉजिस्टिक संस्था की कार्य प्रणाली में सुधार हेतु उपयुक्त तकनीकी समाधानों का विकास।
  • रोबोटिक्स एवं स्वचालन- लोडिंग, अनलोडिंग हेतु थर्ड जनरेशन की सुविधाएं प्रदान करने एवं लॉजिस्टिक्स सेवाओं के पूरक के रूप में रोबोटिक्स में निवेश एक आकर्षक संभावनाएं हैं।
  • मानव रहित हवाई वाहन तथा ड्रोन, 3 भौतिक इंटरनेट समाधान, 3 कौशल विकास तथा प्रशिक्षण।
 निवेश सारथी निवेश मित्रा