उ.प्र. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ डी आई) / विदेशी पूंजीगत निवेश (एफ सी आई), फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एवं फॉर्च्यून इंडिया 500 कंपनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति 2023′ की मुख्य विशेषताएं
देश में किसी भी राज्य द्वारा पहली बार वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विदेशी पूंजी निवेश (एफडीआई सहित), फॉर्च्यून ग्लोबल 500 और फॉर्च्यून इंडिया 500 कंपनियों को राज्य में निवेश प्रेरित करने हेतु एक समर्पित नीति प्रख्यापित की गई है।
- पात्रता के मानदंड
इस नीति के अंतर्गत प्रोत्साहन प्राप्त करने हेतु निम्नलिखित विनिर्माण तथा सेवा इकाइयां पात्र होंगी:
- ₹100 करोड़ के पूंजी निवेश से अधिक विदेशी पूंजी निवेश वाली परियोजनाएं:
‘विदेशी पूंजी निवेश’ से तात्पर्य विदेशी कंपनी द्वारा प्रेफरेंस शेयर, डिबेंचर्स, एक्सटर्नल कमर्शियल बोर्रोविंग, स्टैंडबाई क्रेडिट पत्र, गारंटी पत्र, तथा अन्य ऋण सुरक्षा साधनों के रूप में किये गये निवेश से है। इसके अतिरिक्त, भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्कुरल संख्या एफईडी /2018-19/67, दिनांक 26.03.2019 (यथा संशोधित) के अंतर्गत उधार। ट्रेड क्रेडिट एवं मानक दायित्वों (Standard Obligations) हेतु अनुमोदित अन्य साधनों को ₹100 करोड़ के विदेशी निवेश की गणना में महत्वपूर्ण माना जाएगा। तदनुसार, विदेशी कंपनी द्वारा किया गया विदेशी पूंजी निवेश जिसमें न्यूनतम 10% निवेश इक्विटी के रूप में एवं शेष ऋण (Debt) तथा अन्य साधनों के माध्यम से ₹100 करोड़ के कुल निवेश के साथ किया गया हो, उसको इस नीति के अंतर्गत पात्र निवेश माना जाएगा तथा पूंजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा। - निषिद्ध सूची (जैसे तंबाकू, शराब, लोहा और इस्पात, सीमेंट, पेय पदार्थ, लॉजिस्टिक्स, आदि) को छोड़कर कंपनियों द्वारा ₹100 करोड़ से अधिक पूंजी निवेश वाली परियोजनाओं को, जो आवेदन की तिथि तक प्रकाशित फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एवं फॉर्च्यून इंडिया 500 की अद्यतन सूची में सम्मिलित हो।
- ₹100 करोड़ के पूंजी निवेश से अधिक विदेशी पूंजी निवेश वाली परियोजनाएं:
- मुख्य प्रोत्साहन
- फ्रंट-एंड लैंड सब्सिडी
- औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा पश्चिमांचल एवं मध्यांचल में भूमि आवंटन पर 25% सब्सिडी तथा बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल में 20% की दर से सब्सिडी प्रदान की जाएगी। तद्पश्चात राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को क्रमश: 75% एवं 80% की दर से सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा।
- औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को निःशुल्क उपलब्ध कराई गई ग्राम सभा की भूमि के क्षेत्रफल के 50% के समतुल्य क्षेत्रफल की भूमि निःशुल्क पात्र परियोजनाओं को केवल अधिग्रहण मूल्य पर आवंटित की जाएगी।
- पूंजीगत सब्सिडी
- भूमि की लागत को छोड़कर पात्र पूंजी निवेश पर निम्नलिखित दरों पर पूंजीगत सब्सिडी ₹100 करोड़ की वार्षिक सीमा के अधीन 7 समान वार्षिक किस्तों में प्रदान की जाएगी :-
- गौतमबुद्ध नगर एवं गाजियाबाद में पात्र पूंजी निवेश का 25%
- पश्चिमांचल (गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद को छोड़ कर) एवं मध्यांचल में पात्र पूंजीगत निवेश का 30%
- बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल में पात्र पूंजीगत निवेश का 35%
- नोट: यदि प्रस्तावित इकाई औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की भूमि पर स्थापित नहीं की जा रही है, तो भूमि की लागत को पात्र पूंजीगत निवेश में सम्मिलित किया जाएगा।
- एसजीएसटी संबंधी प्रोत्साहन :
- कैपिटल गुड्स पर शुद्ध एसजीएसटी अथवा एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति
- 100 % की दर से शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी, जो (भूमि की लागत को छोड़कर) पात्र पूंजी निवेश की अधिकतम सीमा के समतुल्य होगी।
- यद्यपि अधिकतम सीमा की गणना हेतु पूंजीगत सब्सिडी के रूप में प्राप्त की जाने वाली धनराशि पात्र पूंजी निवेश से घटाई जाएगी।
- यह प्रोत्साहन 10 वर्षों की अवधि हेतु पात्र पूंजी निवेश की 10% वार्षिक सीमा के अधीन होगा।
विकल्प 1 – कैपिटल्स गुड्स पर शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति :
- यदि कंपनी को प्रतीप्य कर संरचना (Invertible for structure) का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण वह आउटपुट टैक्स के भुगतान के लिए कैपिटल गुड्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग करने में सक्षम नहीं है एवं उसका रिफंड प्राप्त करने में भी सक्षम नहीं है, तो राज्य सरकार द्वारा उ.प्र. जीएसटी अधिनियम-2017 के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट की स्वीकार्य सीमा तक मानक निवेश अवधि के भीतर कैपिटल गुड्स पर भुगतान किए गए इनपुट राज्य वस्तु एंव सेवा कर (एसजीएसटी) को वापस कर दिया जाएगा। कंपनी को रिफंड की सीमा तक एंव एसजीएसटी क्रेडिट लेजर से इनपुट टैक्स क्रेडिट को रिवर्स करना होगा। उक्त रिफंड वाणिज्यिक उत्पादन की तिथि से 05 समान वार्षिक किश्तों में प्रदान किया जाएगा।
विकल्प 2 – कैपिटल्स गुड्स पर एसजीएसटी प्रतिपूर्ति :
- स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीकरण
- स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीकरण शुल्क में 100% की छूट प्रदान की जाएगी।
- विद्युत ड्यूटी में छूट
- विद्युत ड्यूटी में 5 वर्षों के लिए 100% छूट अनुमन्य होगी।
- कौशल विकास सब्सिडी
- इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक पात्र परियोजना हेतु उत्तर प्रदेश सरकार 05 वर्ष की अवधि में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह ₹5000 की सीमा तक अधिकतम 500 व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने की लागत की प्रतिपूर्ति करेगी।
- हरित उद्योग प्रोत्साहन
- इकाई के परिसर में उत्प्रवाह उपचार संयंत्र (एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित करने की लागत का 50% या ₹2.5 करोड़, जो भी कम होगा, की पूंजीगत सब्सिडी (एकमुश्त) प्रदान की जाएगी। उक्त सब्सिडी इकाई के परिसर में उत्प्रवाह उपचार संयंत्र के संचालन के प्रारंभ होने पर एकमुश्त प्रदान की जाएगी।
- औद्योगिक आवास
- परिसर की 10 किमी की परिधि में श्रमिकों के आवास/डॉरमिटरी एवं संबंधित सामूहिक सुविधा के विकास की लागत का 10% या ₹10 करोड़, जो भी कम होगा, 7 समान वार्षिक किश्तों में प्रदान किया जाएगा।
- लॉजिस्टिक्स सब्सिडी
- अपने विद्यमान संयंत्रों को अपने अंतर्राष्ट्रीय अथवा देशान्तर्गत कार्यस्थलों से उत्तर प्रदेश में स्थानांतरित करने वाली फर्मों को विनिर्माण उपकरणों के आयात पर अधिकतम ₹2 करोड़ प्रति इकाई तक की परिवहन लागत की 50 % प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी। यह प्रोत्साहन राशि वाणिज्यिक संचालन प्रारंभ होने के उपरांत एकमुश्त प्रदान की जाएगी।
- पेटेंट पंजीकरण शुल्क-व्यय की प्रतिपूर्ति :
- पेटेंट पंजीकरण हेतु किए गए शुल्क-व्यय के 75 % की दर से (एकमुश्त) प्रतिपूर्ति एक किश्त में की जाएगी, जो घरेलू पेटेंट प्राप्त करने के लिए अधिकतम ₹10 लाख तथा अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त करने के लिए अधिकतम ₹20 लाख की सीमा के अधीन होगी।
- अनुसंधान एवं विकास हेतु सहायता
- अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने हेतु सब्सिडी अथवा उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने हेतु अनुदान प्रदान किया जाएगा।
विकल्प 1- स्टैंडअलोन अनुसंधान एवं विकास केंद्र
- स्टैंडअलोन अनुसंधान एवं विकास केंद्र की स्थापना की लागत को 25% की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी, जो न्यूनतम ₹20 करोड़ के निवेश पर अधिकतम ₹10 करोड़ की सीमा के अधीन होगी। परियोजना का अनुमोदन होने पर 50% की किश्त में सब्सिडी प्रदान की जाएगी, अनुमोदन के 03 वर्ष बाद अगली किश्त 25% तथा 5 वर्ष में अपेक्षित परिणाम प्राप्त होने पर अंतिम 25% की किश्त प्रदान की जाएगी।
- प्रति परियोजना ₹10 करोड़ की समग्र सीमा के अधीन परियोजना लागत के 50% तक वित्तीय अनुदान प्रदान किया जाएगा।
विकल्प-2- उत्कृष्टता केंद्र
- अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने हेतु सब्सिडी अथवा उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने हेतु अनुदान प्रदान किया जाएगा।