ऑटो कॉम्पोनेन्ट्स  |  इन्वेस्ट यूपी की आधिकारिक वेबसाइट, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत

सेक्टर

ऑटो कॉम्पोनेन्ट्स

त्वरित मेनू

भारत में परिदृश्य

  • भारत का ऑटो कंपोनेन्ट्स सेक्टर ऑटोमोटिव पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय वाहन विनिर्माण दोनों को पोषित करता है। यह उत्पादों तथा सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को आच्छादित करता है, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 2.3% का योगदान देता है तथा 15 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। वित्तीय वर्ष-2024 में इस सेक्टर का व्यापार ₹6.14 लाख करोड़ (74.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का था, जिसमें घरेलू ओ.ई.एम. आपूर्ति 54% तथा निर्यात का योगदान 18% था। वित्तीय वर्ष 2016-2024 में इस उद्योग में 8.63% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष-2024 में निर्यात 21.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ट्रेड सरप्लस था एवं वर्ष 2026 तक 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

ऑटो कंपोनेन्ट सेक्टर में उत्तर प्रदेश की भूमिका

  • रणनीतिक महत्व : उत्तर प्रदेश अपनी रणनीतिक स्थिति, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग का सुदृढ़ आधार, कुशल श्रम एवं सुदृढ़ अवस्थापना के कारण ऑटो कंपोनेन्ट विनिर्माण सेक्टर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • उद्योग का सिंहावलोकन :
    • वृहद् ओ.ई.एम. एवं टियर-1 आपूर्तिकर्ताओं का केंद्र, साथ ही लघु एवं मध्यम उद्यमों का जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र।
    • लखनऊ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा आगरा जैसे प्रमुख ऑटोमोबाइल केंद्रों के कारण यह सेक्टर राज्य की अर्थव्यवस्था में, विशेष रूप से विनिर्माण में, महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
  • औद्योगिक क्लस्टर : गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, बागपत, आगरा के प्रमुख क्लस्टरों में विभिन्न ऑटो कंपोनेन्ट विनिर्माता हैं, जिनमें टाटा ऑटो कॉम्प, बॉश, आरएसीएल गियरटेक एवं मिंडा इंडस्ट्रीज सम्मिलित हैं, जो गियर पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेन्ट्स, लाइटिंग, इंजन कंपोनेन्ट्स, टायर आदि में विशेषज्ञता रखते हैं।
परिवहन एवं कनेक्टिविटी
  • स्वर्णिम चतुर्भुज एवं प्रमुख राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों से उत्कृष्ट रूप से जुड़ा हुआ।
  • ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर एवं वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (ईडीएफसी तथा डब्ल्यूडीएफसी) का महत्वपूर्ण भाग राज्य से होकर गुजरता है।
  • जेवर में शीघ्र प्रारंभ होने वाला नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तर भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा।
  • वर्तमान (यमुना, आगरा-लखनऊ एक्स्प्रेसवे) तथा नवीन एक्सप्रेसवे परियोजनाएं (पूर्वांचल, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गंगा एसप्रेसवे आदि) कनेक्टिविटी को बेहतर करती हैं।
  • नोएडा, बोराकी तथा वाराणसी में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब विकसित जा रहे हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ होगा।

सेक्टर की विशेषताएं

भौगोलिक क्लस्टर
  • नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा: ऑटो कंपोनेन्ट्स के विनिर्माण हेतु प्रमुख केंद्र, घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की सुलभता, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के निकट होने के कारण लॉजिस्टिक लाभ प्राप्त।
  • लखनऊ एवं कानपुर: वाणिज्यिक वाहन तथा ट्रैक्टर विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान।
उत्पाद श्रेणी
  • विनिर्माता विभिन्न प्रकार के कंपोनेन्ट्स का विनिर्माण करते हैं, जिनमें इंजन पार्ट्स, ट्रांसमिशन सिस्टम, सस्पेंशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा बॉडी कंपोनेन्ट्स सम्मिलित हैं, जिनकी आपूर्ति भारत तथा विदेशों में अग्रणी ओ.ई.एम. को की जाती है।
निर्यात क्षमता
  • राज्य में सरकार द्वारा अवस्थापना एवं शासनिक प्रोत्साहनों, जैसे उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के माध्यम से अपनी निर्यात क्षमताओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे निर्यात को गति प्राप्त हो रही है एवं क्षमता में विस्तार हो रहा है।
  • आपूर्ति श्रृंखलाओं में वैश्विक परिवर्तनों के कारण अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र के रूप में उत्तर प्रदेश में निवेश करने हेतु आकर्षित हो रही हैं।
सरकारी पहल
  • "मेक इन इंडिया" अभियान के साथ संरेखित नीतियां विशेष आर्थिक परिक्षेत्र (एसईजेड), कर प्रोत्साहन एवं बेहतर सड़क-अवस्थापना के साथ इस उद्योग के विकास में सहायता के साथ व्यापार अनुकूल वातावरण बनाती हैं।
  • अमरोहा, गाजियाबाद तथा ग्रेटर नोएडा में स्थित औद्योगिक क्षेत्र बड़े निर्माताओं तथा लघु एवं मध्यम उद्यम हेतु एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र सृजित करते हैं।
प्रगति के कारक
  • वाहनों के उत्पादन में वृद्धि तथा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (ईवी) तथा स्मार्ट प्रौद्योगिकियों से इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी तथा इंफोटेन्मेंट सिस्टम जैसे उन्नत कंपोनेन्ट्स की मांग बढ़ रही है।
  • भारत में इलेक्ट्रिक 3-व्हीलर्स की सबसे अधिक संख्या (> 40%) है।
  • जीएसटी सरलीकरण जैसी सरकारी नीतियां व्यापार को सुगम बनाती हैं, जिससे उद्योग के संचालन में आसानी होती है।

प्रमुख कंपनियां

उल्लेखनीय प्रगति

ऑटो कंपोनेन्ट
विनिर्माण क्लस्टर
  • गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा एवं कानपुर में औद्योगिक समूह ऑटो कंपोनेन्ट विनिर्माण पर केंद्रित हैं एवं विशिष्ट अवस्थापना एवं बाजार तक पहुंच प्रदान करते हैं।
  • जेवर के निकट यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपोनेन्ट्स हेतु निवेश आकर्षित हुआ है।
उन्नत लॉजिस्टिक्स एवं
कनेक्टिविटी
  • ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे एवं डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी अवस्थापना परियोजनाएं, लॉजिस्टिक्स को उन्नत करती हैं, परिवहन लागत प्रभावी बनाती हैं एवं आपूर्ति श्रृंखला दक्षता को बेहतर करती हैं।
निवेश अंतर्वाह
  • अनुकूल नीतियों एवं प्रोत्साहनों के कारण विदेशी तथा घरेलू निवेश में वृद्धि हुई है, नोएडा-ग्रेटर नोएडा तथा गाजियाबाद में ऑटो कंपोनेन्ट्स की नवीन विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की गईं हैं।
ईवी विनिर्माण का विस्तार
  • उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति (2022) ने इलेक्ट्रिक वाहन कंपोनेन्ट्स में निवेश को प्रोत्साहित किया है; प्रमुख विनिर्माता प्रगतिशील ईवी बाजार का लाभ प्राप्त करने हेतु इकाइयां स्थापित कर रहे हैं।

नीतियां एवं योजनाएं

ऑटोमोटिव सेक्टर हेतु उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना

  • राष्ट्रीय स्तर का प्रोत्साहन: केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ की गई उक्त योजना, वाहन तथा ऑटो कंपोनेन्ट विनिर्माताओं को उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक तथा हाइड्रोजन ईंधन-सेल वाहनों के घरेलू विनिर्माण तथा निर्यात को सुदृढ़ करने हेतु वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • प्रोत्साहन राशि: उक्त योजना हेतु ₹25,938 करोड़ धनराशि का आवंटन किया गया है, जिसके अंतर्गत पांच वर्ष हेतु वाहन एवं कंपोनेन्ट उत्पादकों को आच्छादित किया गया है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) प्रोत्साहन (एफएएमई II योजना)

  • उद्देश्य: इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने तथा चार्जिंग अवस्थापना को विकसित करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन।
  • प्रस्तावित समर्थन :
    • ईवी विनिर्माताओं को वित्तीय सहायता
    • ईवी कंपोनेन्ट्स (उदाहरणार्थ बैटरी, इलेक्ट्रिक मोटर आदि) के आपूर्तिकर्ताओं हेतु सब्सिडी
    • ईवी विनिर्माण सुविधा की स्थापना हेतु समर्थन
    • ईवी कंपोनेन्ट्स के विनिर्माण हेतु कर-प्रोत्साहन

प्रमुख विशेषताएं

  • इलेक्ट्रिक वाहन क्रय हेतु सब्सिडी:
    • पहिया वाहन: प्रथम 2,00,000 वाहनों हेतु ₹5,000 की सब्सिडी।
    • तिपहिया वाहन: प्रथम 50,000 वाहनों हेतु ₹12,000 की सब्सिडी।
    • चार पहिया वाहन : प्रथम 25,000 वाहनों हेतु ₹1,00,000 की सब्सिडी (कार तथा बसों तक सीमित)।
    • इलेक्ट्रिक बसें: प्रथम 400 बसों हेतु ₹20 लाख की सब्सिडी।
    • ई-गुड्स कैरियर : प्रथम 1,000 क्रय पर 10% सब्सिडी, प्रत्येक हेतु अधिकतम ₹1,00,000 तक।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों का विनिर्माण।
  • चार्जिंग एवं स्वैपिंग स्टेशनों का विकास।

प्रोत्साहन

  • प्रारंभिक तीन वर्षों हेतु वाहन पंजीकरण शुल्क एवं रोड टैक्स पर 100% छूट, जिसे उत्तर प्रदेश में निर्मित, क्रय एवं पंजीकृत वाहनों हेतु चौथे एवं पांचवें वर्ष हेतु विस्तारित किया जा सकता है।

पूंजीगत सब्सिडी

  • 1 GWh की न्यूनतम क्षमता तथा ₹1,500 करोड़ के निवेश वाली दो अल्ट्रा-मेगा बैटरी परियोजनाओं हेतु 30% पूंजीगत सब्सिडी (अधिकतम ₹1,000 करोड़)।
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम परियोजनाओं को ₹5 करोड़ (लघु) तथा ₹90 करोड़ (वृहद्) तक की पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

निवेश के प्रमुख अवसर

  • इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपोनेन्ट्स

    उन्नत बाजार: इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022 का उद्देश्य विनिर्माताओं हेतु आकर्षक प्रोत्साहन के साथ ईवी कंपोनेन्ट्स (बैटरी, इलेक्ट्रिक मोटर, चार्जिंग स्टेशन) के स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करना है।

    सरकारी सहायता : उत्तर प्रदेश सरकार ईवी विनिर्माण हेतु एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने, वित्तीय लाभ प्रदान करने एवं सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं पर केंद्रित है।

  • पारंपरिक वाहनों के कंपोनेन्ट्स

    विविध विनिर्माण : उत्तर प्रदेश में पारंपरिक वाहनों (इंजन, ट्रांसमिशन, चेसिस कंपोनेन्ट्स ) हेतु विभिन्न कंपोनेन्ट्स का विनिर्माण की निवेश संभावनाएं उपलब्ध हैं।

    ओ.ई.एम. सहयोग: प्रमुख ओ.ई.एम. के साथ सहभागिता से टियर-1 एवं टियर-2 आपूर्तिकर्ताओं हेतु विकास के अवसर उपलबद्ध हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला में सुधार हो सकेगा।

  • ग्रीनफील्ड विनिर्माण परियोजनाएं

    भूमि उपलब्धता: नोएडा, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ जैसे प्रमुख औद्योगिक क्लस्टर्स में प्रतिस्पर्धी दरों पर औद्योगिक भूमि उपलब्ध है।

    अवस्थापना विकास: उन्नत लॉजिस्टिक्स तथा नवीन राजमार्ग, विनिर्माण परियोजनाओं हेतु आपूर्ति श्रृंखला दक्षता तथा कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करते हैं।

  • अवस्थापना विकास परियोजनाएं

    लॉजिस्टिक्स एवं कनेक्टिविटी : सड़क मार्गों तथा परिवहन सुविधाओं सहित लॉजिस्टिक्स अवस्थापना में महत्वपूर्ण निवेश से निवेशकों हेतु परिचालन दक्षता में सुधार होता है।

    औद्योगिक क्लस्टर: नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में क्लस्टर ऑटो कंपोनेन्ट निर्माताओं के बीच सहयोग तथा संसाधन साझाकरण प्रोत्साहित होता है।

  • निर्यात संभावनाएं

    एन.सी.आर. से निकटता : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की निकटता से उत्तर प्रदेश उत्कृष्ट निर्यात संभावनाएं प्रदान करता है, जिससे वैश्विक बाजारों तक पहुंच संभव होती है।

  • नीतिगत सहायता एवं वित्तीय प्रोत्साहन

    व्यवसाय-अनुकूल वातावरण: सिंगल विंडो स्वीकृति प्रणाली ने प्रक्रियागत समस्याओं का न्यूनीकरण किया है एवं नवीन परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न प्रोत्साहन-लाभों का प्राविधान है।

    प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) : राज्य, ऑटो कंपोनेन्ट सेक्टर में एफडीआई की सक्रिय भागीदारी की ओर अग्रसर है जिससे अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों हेतु एक सुदृढ़ संरचना उपलब्ध कराई जा सके।

 निवेश सारथी निवेश मित्रा