इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण  |  इन्वेस्ट यूपी की आधिकारिक वेबसाइट, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत

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इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण

त्वरित मेनू

भारत में परिदृश्य

  • भारतीय सड़क मार्गों पर कुल 8.7 लाख सक्रिय इलेक्ट्रिक वाहनों (दिसंबर 2021) के साथ भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का इस सेक्टर में विश्व में 5वां स्थान है तथा वर्ष 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुँचने की संभावना है। जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि के साथ वाहनों की मांग बढ़ रही है, पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों पर निर्भरता एक सतत विकल्प नहीं है, क्योंकि भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं का लगभग 80% आयात करता है।
  • इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (IESA) द्वारा एकत्रित जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025 तक बैटरी की खपत 36 GWh से अधिक होने की संभावना है। अनुमान है कि वर्ष 2020 से 2027 तक की अवधि में ईवी सेक्टर में लगभग 250 GWh की बैटरीज़ की खपत होगी।
  • विगत तीन वर्षों में भारत में लगभग 5.2 लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत किये गये। नीति आयोग का यह लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक सभी वाणिज्यिक कारों हेतु 70%, निजी कारों हेतु 30%, बसों हेतु 40% तथा दोपहिया व तिपहिया वाहनों हेतु 80% तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री होनी चाहिए। यह वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के विजन के अनुरूप है। IESA के अनुसार, भारतीय ईवी उद्योग का 36% CAGR की दर से विस्तार होने की संभावना है। भारत में 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार ₹50,000 करोड़ (7.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का होने का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2022 में भारत में कुल चार्जिंग स्टेशनों की संख्या में 285% की वृद्धि हुई।
  • मध्यम तथा भारी यात्री वाहन श्रेणी में चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या वर्ष 2018 में 124 से बढ़कर 6 अगस्त, 2021 तक 1,356 हो गई। बैटरी के मूल्य में अनुमान से अधिक तेजी से गिरावट आने के कारण, इलेक्ट्रिक वाहन अर्थव्यवस्था अनुकूल हो गयी है।
  • भारत में ईवी उद्योग सेक्टर में वर्ष 2030 तक 5 करोड़ रोजगार के अवसरों का सृजन होने की संभावना है। वर्ष 2021 में ईवी स्टार्ट-अप्स में निवेश प्रवाह सर्वकालिक उच्च स्तर तक पहुंच गया, जो लगभग 255% बढ़कर ₹3,307 करोड़ (444 मिलियन अमेरिकी डॉलर) हो गया। वर्ष 2021 में, बैटरी विकास, विद्युतीकरण, ई-मोटर्स तथा पावर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विद्युत इकोसिस्टम के विकास पर व्यय ₹48,215 करोड़ (यूएस $ 6.39 बिलियन) पहुंच गया।
  • भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने तथा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करने हेतु अनेक नवीन योजनाएं प्रारंभ की हैं। प्रमुख योजनाओं/पहलों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं:
    1. फेम (FAME) इंडिया योजना: फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना देश में हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास एवं शीघ्र अंगीकरण को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2015 में प्रारंभ की गयी थी।
    2. उन्नत केमेस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज हेतु उत्पादन-आधारित योजना (पीएलआई-एसीसी): सरकार ने 2021 में उन्नत केमेस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज हेतु पीएलआई योजना प्रारंभ की। इस योजना से देश में बैटरी की दरों में कमी आने की संभावना है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत भी कम होगी।
    3. ऑटोमोबाइल व ऑटो कंपोनेन्ट्स उद्योग हेतु उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना: सरकार ने सितंबर 2021 में ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड योजना (पीएलआई) प्रारंभ की, जिसमें बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन कंपोनेन्ट्स के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना सम्मिलित है। यह योजना मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओ.ई.एम.) को बिक्री पर प्रोत्साहन प्रदान करती है।
    4. बैटरी स्वैपिंग नीति : अप्रैल 2022 में नीति आयोग द्वारा एक ड्राफ्ट बैटरी स्वैपिंग नीति निर्गत की गई थी, जिसकी वैधता दिनांक 31 मार्च, 2025 तक है। इस नीति के अंतर्गत निर्धारित चार्जिंग स्टेशनों पर डिस्चार्ज बैटरियों को चार्ज की गई बैटरियों से प्रतिस्थापित किया जा सकेगा, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को संभावित उपभोक्ताओं के लिए अधिक व्यवहार्य बनाया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश में परिदृश्य

  • भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे अधिक संख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश अग्रणी है, क्योंकि प्रदेश जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के राष्ट्रव्यापी प्रयास का हिस्सा बन रहा है। भारत के पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों में से अधिकतर वाहन देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में हैं। वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश ने इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार की 14% से अधिक हिस्सेदारी प्राप्त की तथा देश में तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के सेक्टर में वर्चस्व स्थापित किया है, जिसमें देश के कुल तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों का 40% से अधिक भाग सम्मिलित है।
  • उत्तर प्रदेश भारत सरकार की फेम-I तथा फेम-II योजनाओं का सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहा है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण हेतु फेम-II के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को 207 चार्जिंग स्टेशन स्वीकृत किए गए हैं, जिन्हें आरईआईएल एवं ईईएसएल के माध्यम से राज्य के 9 शहरों, यथा- नोएडा, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, अलीगढ़, सहारनपुर, बरेली तथा झांसी में स्थापित किया जा रहा है। राज्य में एक्सप्रेसवेज़ के किनारे और अधिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाने की संभावना है। नगर विकास विभाग द्वारा चिन्हित मार्गों पर प्रमुख शहरों में 700 सार्वजनिक ईवी बसें संचालित करने की कार्यवाही की जा रही है।

प्रमुख कंपनियां

उल्लेखनीय प्रगति

उत्तर प्रदेश में ईवी विनिर्माण को प्रोत्साहित करने एवं विकसित करने हेतु विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर कार्य किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण इकाइयों के विकास हेतु संपूर्ण राज्य के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में 2,000 एकड़ से अधिक भूमि चिन्हित की है। उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022 के अंतर्गत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ ईवी विनिर्माताओं तथा खरीदारों हेतु प्रोत्साहन तथा सब्सिडी का प्रविधान किया गया है।

राज्य सरकार ने वायु प्रदूषण तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने हेतु राज्य की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में इलेक्ट्रिक बसें का संचालन प्रारंभ किया है तथा विकासशील ईवी उद्योग की आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु बैटरी विनिर्माण इकाइयों को प्रोत्साहित करने के विकल्प पर भी कार्य कर रही है। इसका लक्ष्य शैक्षणिक संस्थानों तथा शोध संगठनों के साथ सहयोग स्थापित करते हुए ईवी सेक्टर में अनुसंधान तथा विकास प्रयासों का समर्थन करना भी है।

उत्तर प्रदेश सरकार उदीयमान बैटरी रसायन विज्ञान पर केंद्रित अनुसंधान सुविधाओं तथा उत्पादों के औद्योगिक गुणवत्ता मूल्यांकन हेतु परीक्षण प्रयोगशालाओं के साथ समन्वय कर इस सेक्टर में भविष्य की संभावनाओं पर कार्य कर रही है। साथ ही ईवी में उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाने हेतु चार्जिंग तथा स्वैपिंग स्टेशन भी स्थापित किए जा रहे हैं तथा राज्य में स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) में बैटरी/ईवी से संबंधित पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं।

निवेश के प्रमुख अवसर

  • हाइब्रिड इलेक्ट्रिक, प्लग-इन इलेक्ट्रिक वाहन, इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं कंपोनेन्ट्स, जैसे- मोटर, पावर इलेक्ट्रॉनिक किट आदि।

  • बैटरी विनिर्माण, अनुसंधान व विकास सहित

  • फास्ट-चार्जिंग स्टेशन

  • स्लो-चार्जिंग स्टेशन

  • बैटरी स्वैपिंग स्टेशन

  • नवीनतम प्रौद्योगिकी समाधानों के उपयोग से सड़क अवस्थापना विकास

  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एवं ईवी विनिर्माण

  • ऑटो सेक्टर के अनुषांगिक उपकरण तथा बैटरी पैक विनिर्माण हेतु मध्य तथा पश्चिमी क्षेत्रों में विनिर्माण क्लस्टर

  • अनुषांगिक उद्योगों की स्थापना

  • इन-हाउस अनुसंधान-विकास केंद्र के साथ विनिर्माण सुविधा

  • हाइब्रिड तथा इलेक्ट्रिक वाहन कंपोनेन्ट्स

  • ट्रांसमिशन तथा स्टीयरिंग पार्ट्स

  • मूल उपकरण निर्माता (ओ.ई.एम.)

 निवेश सारथी निवेश मित्रा