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  • जनवरी 2025 तक 159,000 से अधिक स्टार्टअप को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • इनमें से 50% टियर-2 तथा टियर-3 शहरों में है।
  • यह स्टार्टअप भारत के 36 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के 669 जनपदों में स्थापित हैं।
  • 31 मार्च 2023 तक, भारत में 108 यूनिकॉर्न हैं, जिनका कुल मूल्यांकन $340.80 बिलियन है। कुल यूनिकॉर्न में से, $93.00 बिलियन के कुल मूल्यांकन वाले 44 यूनिकॉर्न 2021 में स्थापित हुए तथा $26.99 बिलियन के कुल मूल्यांकन वाले 21 यूनिकॉर्न 2022 में स्थापित हुए।
  • स्टार्टअप्स हेतु 57 नियमों को सुगम बनाया गया
  • नए स्टार्टअप की स्थापना तथा विकास में सहायता हेतु वर्ष 2021 में ₹945 करोड़ की स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना प्रारंभ की गई है।
  • घरेलू उद्यम पूंजी उद्योग के विस्तार हेतु ₹10,000 करोड़ के ‘फंड ऑफ फंड्स’ का प्रबंधन किया जा रहा है।
  • महाराष्ट्र और कर्नाटक के बाद उत्तर प्रदेश देश का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है।

सेक्टर की विशेषताएं

गत वर्षों में उत्तर प्रदेश ने स्टार्टअप सेक्टर में उल्लेखनीय प्रगति की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्यमिता को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों को प्रारंभ किया है, यथा- "उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति", जो पूरे राज्य में वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन तथा प्लग-एंड-प्ले ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करती है।
सरकार ने हब एंड स्पोक मॉडल पर एकेटीयू में नवाचार हब की स्थापना की है तथा स्टार्टअप नीति का लाभ उठाने हेतु युवाओं तथा स्टार्टअप्स की सहायता हेतु राज्य में 63 इनक्यूबेटर को स्वीकृति दी है। ये इनक्यूबेशन सेंटर एवं एक्सेलरेटर विशेष रूप से नोएडा, लखनऊ तथा कानपुर जैसे प्रमुख शहरों में स्थापित किए गए हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.) लखनऊ, डॉ0 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, आई.आई.टी. बीएचयू एवं एम.एन.आई.आई.टी., प्रयागराज जैसे संस्थान भी प्रयोगशालाओं, मेंटरशिप तथा संसाधनों के माध्यम से स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप सूचना प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स, एग्रीटेक, हेल्थटेक तथा फिनटेक जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं। राज्य की कृषि पृष्ठभूमि ने एग्रीटेक समाधानों में नवाचारों को प्रोत्साहित किया है। इस सेक्टर में एंजल तथा वेंचर कैपिटल इंटरेस्ट में वृद्धि हुई है, अनेक स्टार्टअप्स सिडबी के सहयोग से स्थापित फंड्स ऑफ फंड्स के माध्यम से स्थानीय तथा राष्ट्रीय निवेशकों से अनुदान आकर्षित कर रहे हैं। वृहद जनसंख्या एवं विभिन्न प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ, उत्तर प्रदेश में प्रतिभावान युवाओं की संख्या भी बढ़ी है, जो इसे टेक स्टार्टअप्स हेतु एक आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करती है। समग्र रूप से उत्तर प्रदेश सरकारी नीतियों, निवेश तथा एक सुदृढ़ प्रतिभा आधार द्वारा समर्थित स्टार्टअप्स हेतु एक प्रगतिशील केंद्र के रूप में उभर रहा है।

प्रमुख कंपनियां

आज यूनिकॉर्न टियर-I शहरों में सक्रिय हैं तथा यह पारिस्थितिकी तंत्र संपूर्ण राज्य में समस्त जनपदों में उपलब्ध है। ई-कॉमर्स, फिन-टेक, ई-कॉमर्स, सप्लाई चेन तथा लॉजिस्टिक्स, इंटरनेट सॉफ्टवेयर एवं सर्विसेज जैसे पारंपरिक सेक्टर्स का वर्चस्व है, परंतु कॉंटेंट, गेमिंग, हॉस्पिटैलिटी, डेटा मैनेजमेंट तथा एनालिटिक्स आदि जैसे नवीन क्षेत्र भी सशक्त अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

उल्लेखनीय प्रगति

16,000 से अधिक उद्योग प्रोत्साहन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के साथ देश का चौथा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र।
स्टार्टअप्स द्वारा 1 लाख से अधिक नौकरियां सृजित हुई हैं।
उद्योग प्रोत्साहन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा आयोजित राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग में उत्तर प्रदेश निरंतर अग्रणी (LEADER) राज्य के रूप में प्रदर्शन कर रहा है। निकट भविष्य में प्रदेश, शीर्ष प्रदर्शनकर्ता एवं उसके उपरांत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता बनने की ओर अग्रसर है।
पूर्वांचल क्षेत्र के 18 स्टार्टअप्स को ₹26.67 लाख वितरित किए गए।
राज्य में AI तथा ML, ड्रोन व मेडटेक जैसे प्रगतिशील क्षेत्रों में 3 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं। ब्लॉकचेन, 5जी एवं 6जी (दूरसंचार) तथा एडिटिव विनिर्माण में 4 अन्य उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जनपदों में स्टार्टअप्स स्थापित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद में न्यूनतम एक स्टार्टअप है।
49% स्टार्टअप टियर-II तथा टियर-III शहरों में हैं।
राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश के 23 जनपदों में 63 इनक्यूबेटरों को मान्यता प्रदान की है। इनक्यूबेटरों को ₹5.53 करोड़ वितरित किए गए हैं।
संबंधित नीति के अंतर्गत 206 स्टार्टअप को प्रोत्साहन हेतु स्वीकृति दी गई एवं ₹5.50 करोड़ वितरित किए जा चुके हैं। 38 अन्य स्टार्टअप को ₹1.30 करोड़ अतिरिक्त वितरित किया जाना प्रस्तावित है।
महिला-नेतृत्व वाले 34 स्टार्टअप्स को ₹18 लाख वितरित किए गए।

नीतियां एवं योजनाएं

नीतियां एवं अनुदान योजनाएं1

  • भारत सरकार द्वारा आयोजित "राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग" में शीर्ष 3 राज्यों में सम्मिलित होना
  • राज्य के प्रत्येक जनपद में न्यूनतम एक इनक्यूबेटर सहित 100 इनक्यूबेटर स्थापित/समर्थित करना
  • स्टार्टअप्स हेतु न्यूनतम एक मिलियन वर्ग फीट का इनक्यूबेशन/एक्सेलेरेशन स्थान विकसित करना
  • 8 अत्याधुनिक उत्कृष्टता केंद्र (CoE) स्थापित करना
  • लखनऊ में भारत का सबसे बड़ा इनक्यूबेटर स्थापित करना

उत्कृष्टता केंद्र हेतु अनुदान सहायता 2

  • स्थापना की तिथि से 5 वर्षों तक उत्कृष्टता केंद्र को ₹10 करोड़ तक पूंजी तथा परिचालन व्यय की पूर्ति

इनक्यूबेटर अनुदान3

  • इन्क्यूबेटरों (तकनीकी अवस्थापना विकास) हेतु अधिकतम ₹1 करोड़ की सीमा के अधीन (निजी संस्थानों) को पात्र राशि के 50% तक पूंजी अनुदान तथा बुंदेलखंड तथा पूर्वांचल क्षेत्र हेतु यह सीमा ₹1.25 करोड़ है।
  • इनक्यूबेटरों हेतु 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ₹30 लाख तक के परिचालन व्यय को आच्छादित करने हेतु वित्तीय सहायता, कुल ₹1.5 करोड़ अथवा आत्मनिर्भर होने तक, जो भी पहले हो।
  • इनक्यूबेटरों हेतु 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ₹30 लाख तक के परिचालन व्यय को आच्छादित करने हेतु वित्तीय सहायता, कुल ₹1.5 करोड़ अथवा आत्मनिर्भर होने तक, जो भी पहले हो।
  • PMIC द्वारा अनुमोदित KPI ढांचे के अनुसार राज्य स्तरीय वार्षिक इनक्यूबेटर रैंकिंग प्रारंभ की जाएगी। रैंकिंग में शीर्ष 3 प्रदर्शन करने वालों में विजेता, प्रथम रनर-अप व द्वितीय रनर-अप को क्रमशः प्रति वर्ष ₹3 लाख, ₹2 लाख तथा ₹1 लाख की राशि प्रदान की जाएगी।

स्टार्टअप हेतु प्रोत्साहन 4

  • निर्वाह भत्ता: प्रत्येक स्टार्टअप को आइडिएशन स्टेज पर एक वर्ष की अवधि हेतु प्रति माह ₹17,500 प्रदान किए जाएंगे, अधिकतम 10 स्टार्टअप्स प्रति इनक्यूबेटर प्रति वर्ष।
  • प्रोटोटाइप विकास: प्रत्येक स्टार्टअप को प्रोटोटाइप विकसित करने में सहायता हेतु एकमुश्त ₹5 लाख प्रदान किए जाएंगे।
  • सीड कैपिटल: प्रत्येक स्टार्टअप को बाजार में न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (MVP) लॉन्च करने हेतु प्रति वर्ष प्रत्येक इनक्यूबेटर द्वारा 10 स्टार्टअप्स को तीन किश्तों में ₹7.5 लाख तक विपणन सहायता प्रदान की जाएगी।
  • राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रतिभाग हेतु ₹50,000/- का प्रोत्साहन एवं अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम हेतु ₹1,00,000/- का प्रोत्साहन, पूर्व अनुमोदन आवश्यक।
  • पेटेंट व्यय प्रतिपूर्ति: भारतीय पेटेंट हेतु ₹2 लाख एवं अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट हेतु ₹10 लाख तक प्रतिपूर्ति की जाएगी।

निवेश के प्रमुख अवसर

वित्त पोषण आमंत्रित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में फिनटेक, एडटेक, ईकॉमर्स, सोशल नेटवर्क, फूडटेक, लॉजिस्टिक्स तथा सप्लाई चेन, मीडिया व मनोरंजन, डी2सी ब्रांड्स, सॉफ्टवेयर एज़ ए सर्विस हेल्थटेक सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त, वित्तपोषण की पारंपरिक पद्धतियों में भी परिवर्तन हुआ है, जिसमें स्टार्टअप अब क्राउडफंडिंग, राजस्व-आधारित वित्तपोषण, उद्यम ऋण (Venture debt), बैंक ऋण आदि जैसे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
निवेशक अपनी पूंजी के माध्यम से किसी कंपनी में स्वामित्व का एक अंश खरीदते हैं। वे अपनी पूंजी का निवेश करते हैं तथा इसके बदले इक्विटी प्राप्त करते हैं, जो स्टार्टअप में स्वामित्व का एक भाग एवं इसके संभावित भविष्य के लाभों का अधिकार प्रदान करती है। निवेशक उन स्टार्टअप्स के साथ साझेदारी करते हैं, जिनमें वे निवेश करना चुनते हैं। यदि कंपनी लाभ अर्जित करती है, तो निवेशकों को उनके इक्विटी के अनुपात में प्रतिफल प्राप्त होता है। वहीं, यदि स्टार्टअप विफल हो जाता है, तो निवेशकों को निवेशित राशि की हानि होती है।
निवेशक स्टार्टअप्स में अपने निवेश पर प्रतिफल विभिन्न निकासी साधनों के माध्यम से प्राप्त करते हैं। आदर्श रूप से, वेंचर कैपिटल फर्म तथा उद्यमी को निवेश वार्ता के प्रारंभ में ही विभिन्न निकासी विकल्पों पर चर्चा करनी चाहिए। एक उच्च प्रदर्शन वाला, तीव्र वृद्धि करने वाला स्टार्टअप, जिसमें प्रबंधन और संगठनात्मक प्रक्रियाएं उत्कृष्ट हों, अन्य स्टार्टअप्स की अपेक्षाकृत पहले निकासी हेतु तैयार होने की संभावना अधिक रखता है। वेंचर कैपिटल तथा प्राइवेट इक्विटी फंड्स को अपने फंड की निर्धारित अवधि समाप्त होने से पूर्व अपने सभी निवेशों से निकासी करनी आवश्यक होती है।
 निवेश सारथी निवेश मित्रा