नीति के प्रमुख उद्देश्य
- राज्य में व्यापार का एक आकर्षक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना व उसे बढ़ावा देना
- मानव विकास व अवसंरचना विकास को आई टी सिटी, आई टी पार्क तथा आई टी-बी पी एम इकाइयों के माध्यम से बढ़ावा देना
- स्टार्टअप, इंक्यूबेटर, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को बढ़ावा देकर उद्यमिता व नवाचार का स्थापन व पोषण करना
- नागरिक केन्द्रित सेवाओं के सृजन के माध्यम से डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, इस प्रकार समाज के सभी अंगों में कल्याण का सृजन करना
नीति की प्रमुख विशेषताएँ
- ब्याज अनुवृत्ति – @5% प्रति वर्ष 7 वर्षों के लिए
- स्टाम्प शुल्क – 3 वर्षों के भीतर संचालन प्रारंभ करने की शर्त के साथ भूमि/कार्यालय स्थान का क्रय/पट्टे पर देना/आई टी/आई टी ई एस हेतु भवन लेने पर स्टाम्प शुल्क से @100% की छूट
- विद्युत शुल्क – वाणिज्यिक संचालन प्रारंभ किए जाने के बाद 10 वर्षों तक नई आई टी/आई टी ई एस इकाइयों को विद्युत शुल्क से @100% छूट
- ईपीएफ़ अनुदान – वाणिज्यिक संचालन प्रारंभ होने के बाद उत्तर प्रदेश के मूल निवासी आई टी/ आई टी ई एस पेशेवरों को लगातार 1 वर्ष तक रोज़गार प्रदान करने पर उनके हेतु किए गए कुल ई पी एफ़ भुगतान की @100%
प्रतिपूर्ति - प्रमाणन हेतु प्रोत्साहन – अधिकतम 3 प्रमाणन तक प्रति इकाई रुपए 25 लाख की कुल सीमा
- भर्ती सहायता – टायर-II वी टायर-III शहरों में स्थित प्रति कर्मचारी 20,000 रूपए इस शर्त के साथ कि उसका रोजगार न्यूनतम 6 महीने तक जारी रहे तथा आई टी- बी पी एम क्षेत्र में कम से कम 50 विद्यार्थियों की वार्षिक भर्ती, जो उत्तर प्रदेश आधारित महाविद्यालयों से भर्ती हुए हों
- एकस्व अनुरोध दायर अनुवृत्ति – स्वीकृत एकस्व दावों की वास्तविक लागत पर @100% तक अनुवृत्ति
- भूमि हेतु प्रावधान – कुछ विशेष शर्तों के साथ राज्य एजेंसियों से क्रय की गई भूमि की लागत पर 25% तक की प्रतिपूर्ति
नीति दस्तावेज़ डाउनलोड करें (भाषा अंग्रेज़ी) साइज :676 KB अंतिम अद्यतित – अक्टूबर 14,
2021