नीति के प्रमुख उद्देश्य
प्रदेश में हरित पर्यावरण सृजित करने के निमित्त इलेक्ट्रिक वाहनों को अंगीकृत करने को प्रोत्साहन देना- इलेक्ट्रिक वाहनों
की माँग व आपूर्ति दोनों पक्षों से रोज़गार अवसरों का सृजन करना
इंटरनल कंबस्चन (आई सी) इंजन से इलेक्ट्रिक वाहन में स्थानांतरित करने हेतु एक प्रवाहकीय वातावरण का सृजन करना
बैटरी के उत्पादन स्तर से लेकर उसके निस्तारण स्तर तक बैटरी प्रबंधन हेतु एक मज़बूत व सतत चलने वाला
पारिस्थितिकीतन्त्र विकसित करना
बैटरी के उत्पादन स्तर से लेकर उसके निस्तारण स्तर तक बैटरी प्रबंधन हेतु एक मज़बूत व सतत चलने वाला
पारिस्थितिकीतन्त्र विकसित करना
नीति की प्रमुख विशेषताएँ
- भूमि अनुवृत्ति – भूमि की @25% लागत अथवा वर्तमान सर्किल रेट दोनों में से जो भी कम हो
- पूंजीगत ब्याज अनुवृत्ति – बड़े एंकर इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण इकाइयों/ई बी यू व एम एस एम ई हेतु 5 वर्षों के लिए @5% की दर से रूपए 50 लाख तक प्रति वर्ष
- अवसंरचनात्मक ब्याज अनुवृत्ति –1 करोड़ रूपये से लेकर बड़ी प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण इकाईयों /ईबीयू तथा एमएसएमई को 5 वर्षों हेतु @5% की दर से
- ऊर्जा – बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण इकाईयों /ईबीयू तथा एमएसएमई इकाइयों पर 10 वर्षों हेतु @100% की छूट
- एकस्व व प्रमाणन – केवल एम एस एम ई इकाइयों हेतु एकस्व पंजीयन लागत के 75% तथा गुणवत्ता प्रमाणन लागत के 50% की प्रतिपूर्ति
- चार्जिंग सुविधा हेतु पूंजी गत अनुवृत्ति – एफ़ सी आई पर 25% (भूमि मूल्य को छोड़कर) प्रथम 1000 चार्जिंग स्टेशनों पर रूपए 6 लाख प्रति स्टेशन की दर से
- चार्जिंग स्टेशनों हेतु पूंजीगत ब्याज अनुवृत्ति – एफ़ सी आई पर @50% (भूमि मूल्य को छोड़कर) हाइड्रोजन जनित किए जाने तथा ईंधन भरने हेतु संयंत्र स्थापित करने के निमित्त प्रथम 10 इकाइयों पर अधिकतम 50 लाख रूपए प्रति इकाई
- वाहन पंजीयन शुल्क – उत्तर प्रदेश में वाहन निर्माताओं व प्रथम 1 लाख क्रेताओं को वाहन पंजीयन शुल्क से @100% की छूट
नीति दस्तावेज़ डाउनलोड करें (भाषा अंग्रेज़ी साइज :268 MB अंतिम अद्यतित – अक्टूबर 14,
2021) नीति दस्तावेज़ डाउनलोड करें (भाषा हिन्दी साइज :875
MB अंतिम अद्यतित – अक्टूबर 14, 2021)