नीति के मुख्य उद्देश्य
- उत्तर
प्रदेश को डाटा सेंटर उद्योग हेतु एक अधिमानित निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना - उत्तर प्रदेश में 250
मेगावाट शक्ति वाले डाटा सेंटर उद्योग विकसित करना - रूपए 20,000 करोड़ के निवेश आकर्षित करना
- उत्तर प्रदेश में कम
से कम 3 अत्याधुनिक निजी डाटा सेंटर पार्क स्थापित करना
नीति के प्रमुख बिन्दु
योजना के क्रियान्वयन हेतु, प्रत्येक जनपद के उत्पादों के लिए निम्नलिखित कार्यवाहियाँ की जानी हैं
- पूंजीगत अनुवृत्ति – इकाइयों को @7% की दर से अधिकतम रूपए 10 करोड़ तक एफ़ सी आई पर (भूमि व भवन रहित) जिसे 10 वर्षों के भीतर प्रदान किया जाना है
- ब्याज अनुवृत्ति – पार्कों को @60% की दर से उनके द्वारा चुकाए जाने वाले वार्षिक ब्याज पर 7 वर्षों तक प्रति पार्क अधिकतम 50 करोड़ रूपए
- भूमि अनुवृत्ति – मध्यांचल व पश्चिमाञ्चल में प्रचलित सेक्टर दरों पर 25% , तथा बुंदेलखंड व पूर्वाञ्चल में प्रचलित सेक्टर दरों का @ 50% अधिकतम रूपए 75 करोड़ पार्कों व इकाइयों हेतु
- स्टाम्प शुल्क छूट – प्रथम अंतरण पर @100% तथा पार्कों व इकाइयों पर द्वितीय अंतरण पर @50%
- विद्युत शुल्क छूट – इकाइयों हेतु 10 वर्षों के लिए @ 100% छूट
- दोहरी पावर ग्रिड आपूर्ति – राज्य में स्थापित प्रथम 3 डी सी पार्कों पर , ऊर्जा विभाग को द्वितीय ग्रिड की लागत वहन करनी होगी । इकाइयों के लिए लागू शुल्कों पर, माँग पर उपलब्ध है ।
- पारेषण तथा व्हीलिंग शुल्क से छूट – 25 वर्षों तक अंतर्राज्जीय ऊर्जा विक्रय पर @50% की दर से, अंतर्राज्जीय पारेषण प्रणाली तथा 5 वर्षों तक बाहरी राज्यों से पार्कों व इकाइयों हेतु ऊर्जा आयात करने पर @100% की छूट
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