नीति के प्रमुख उद्देश्य
- भारत
सरकार द्वारा आयोजित “राज्य स्टार्टअप रैंकिंग” में प्रथम 3 राज्यों में स्थान बनाना - 100
इंक्यूबेटर की स्थापना करना/सहायता करना, राज्य के प्रत्येक जनपद में कम से कम एक - स्टार्टअप
के लिए वांछित इंक्यूबेशन/एक्सेलेरेशन हेतु न्यूनतम 1 मिलियन वर्ग फीट स्थान विकसत करना - 3 अत्याधुनिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सी ओ ई)
स्थापित करना
नीति के प्रमुख बिन्दु
- पूंजीगत अनुदान – इंक्यूबेटर हेतु पात्र धनराशि के @50% तक की प्रतिपूर्ति जिसकी अधिकतम सीमा रूपए करोड़ है
- पासंचलन व्यय आच्छादन हेतु वित्तीय सहायता @ 30 लाख रूपए तक 5 वर्षों हेतु अथवा जब तक इकाई आत्मनिर्भर न हो जाए, दोनों में से जो भी इंक्यूबेटर्स हेतु कम हो
- पी एम आई सी द्वारा स्वीकृत के पी आई फ़्रेमवर्क के अनुसार राज्य स्तर पर इंक्यूबेटर्स को वार्षिक रैंकिंग प्रदान की जाएगी | 3 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ताओं को रैंकिंग के अनुसार क्रमश: विजेता, उपविजेता तथा द्वितीय उपविजेता के रूप में प्रतिवर्ष रूपए 3 लाख, 2 लाख व 1 लाख का पारितोषिक प्रदान किया जाएगा
- सहायक अनुदान – (पूंजीगत व संचलन व्यय को आच्छादित करते हुए) @ 10करोड़ रूपए तक सी ओ ई को स्थापना तिथि से 5 वर्षों की अवधि तक प्रदान किया जाएगा
- स्टार्टअप्स हेतु प्रोत्साहन :
- निर्वाह भत्ता : वैचारिक स्तर पर कार्यरत स्टार्टअप्स को @15000 भारतीय रूपये प्रति माह प्रति स्टार्टअप की दर से एक वर्ष तक प्रति इंक्यूबेटर अधिकतम 10 स्टार्टअप्स के लिए
- प्रारम्भिक पूंजी : प्रति इंक्यूबेटर अधिकतम 10 स्टार्टअप्स हेतु बाज़ार में न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एम वी पी) के आरंभ हेतु अधिकतम 5 लाख भारतीय रूपये विपणन सहायता के रूप में
- एकस्व दावा फ़ाइलिंग प्रतिपूर्ति – @2 लाख भारतीय रूपये घरेलू एकस्व हेतु तथा 10 लाख भारतीय रूपए अंतर्राष्ट्रीय एकस्व हेतु
नीति पत्रजात डाउनलोड करें (भाषा अंग्रेज़ी साइज :433 KB अंतिम अद्यतित – अक्टूबर 21,
2021)